अभिधा शब्द शक्ति (Denotation):
- यह शब्द की वह शक्ति है जो उसके पूर्व निर्धारित या मुख्य अर्थ का बोध कराती है, जिसे अभिधेयार्थ या मुख्यार्थ कहते हैं.
- शब्द के अर्थ का निर्धारण व्यवहार, आप्त वाक्य, कोश और व्याकरण द्वारा होता है.
- मुख्यार्थ को व्यक्त करने वाले शब्द 'वाचक शब्द' कहलाते हैं, जो तीन प्रकार के होते हैं:
- रूढ़ शब्द: वे शब्द जिनके खंड करने पर कोई अर्थ नहीं निकलता और जिनका अर्थ पूर्व निर्धारित होता है (जैसे: जल, कमल).
- यौगिक शब्द: वे शब्द जिनका खंड किया जा सकता है और जिनमें उपसर्ग या प्रत्यय का योग होता है (जैसे: दासता, अनुचित).
- योगरूढ़ शब्द: वे शब्द जो यौगिक होते हुए भी रूढ़ अर्थ प्रकट करते हैं, यानी उनके खंड किए जा सकते हैं लेकिन वे किसी विशेष अर्थ के लिए रूढ़ हो जाते हैं (जैसे: पंकज - 'पंक' और 'ज' का योग, जिसका शाब्दिक अर्थ 'कीचड़ में उत्पन्न होने वाला' है, लेकिन यह केवल कमल के लिए रूढ़ हो गया है).
- कुछ वाचक शब्द एकार्थक होते हैं (जैसे: पुस्तक) और कुछ अनेकार्थक (जैसे: गोली, टीका, कर), जिनका अर्थ संदर्भ के अनुसार बदलता है.
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